ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै नमः

|| जय माँ भगवती ||

नलखेड़ा ( आगर मालवा ). आगर मालवा जिले के नलखेड़ा में लखुंदर नदी के तट पर स्थित है मां बगलामुखी का भव्य मंदिर। यह मंदिर धार्मिक व तांत्रिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यहां का बगलामुखी हवन दुनियाभर में तंत्र साधना और अपने पर आए कष्टों को दूर करने के लिए प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि जिस नगर मे मां बगलामुखी विराजित हो, उस को संकट देख भी नहीं पाता। बताते हैं यहां स्वयंभू मां की मूर्ति महाभारतकाल की है। यहां युधिष्ठिर ने श्रीकृष्ण के निर्देशन पर साधना कर कौरवों पर विजय प्राप्त की थी। यह स्थान आज भी चमत्कारों के कारण जाना जाता है। देश-विदेश से कई साधु-संत तंत्र साधना करते हैं। मां बगलामुखी वह शक्ति है जो रोग शत्रुकृत अभिचार तथा समस्त दुखों व पापों का नाश करती है। इस मंदिर में त्रिशक्ति मां विराजित है। ऐसी मान्यता है कि मध्य में मां बगलामुखी, दाएं मां लक्ष्मी तथा बाएं मां सरस्वती हैं। त्रिशक्ति मां का मंदिर भारतवर्ष में दूसरा कहीं नहीं है। बेलपत्र, चंपा, सफेद, आंकडे, आंवले तथा नीम एवं पीपल (एकसाथ) स्थित हैं। यह मां बगलामुखी के साक्षात होने का प्रमाण हैं। मंदिर के पीछे लखुंदर नदी (पुरातन नाम लक्ष्मणा) के किनारे कई संतों की समाधियां हैं। यह मंदिर में बड़ी संख्या में संतों के रहने का प्रमाण है।

|| ॐ ह्रीं बगलामुखी सर्व दुष्टानाम वाचं मुखम पदम् स्तम्भय। जिव्हां कीलय बुद्धिम विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा ||

पंडित जगदीश जी शर्मा

उपासक पंडित श्री जगदीश शर्मा जी नलखेड़ा स्थित मां बगलामुखी मंदिर के प्रख्यात विद्वान ज्योतिषाचार्य एवं वैदिक शास्त्र में निपुण है पंडित जगदीश शर्मा ने अपनी समस्त शिक्षा दीक्षा द्वारा कई जन कार्यों को सफलतापूर्वक सिद्ध किए हैं |

पंडित जगदीश शर्मा द्वारा सभी तरह की जनसमस्याओं जैसे व्यापार वृद्धि, धन प्राप्ति, संतान सुख, वशीकरण, टोना टोटका, दुश्मन पर विजय, तांत्रिक बाधाएं, ग्रह दोष निवारण, न्यायिक मुकदमों में सफलता आदि के निवारण के लिए विशेष मां बगलामुखी अनुष्ठान एवं पूजन करवाएं जाते हैं |

पूजा - हवन का महत्त्व -


अनुष्ठान पूजा

शत्रु को पराजित करने में, शत्रुओ का नाश करने में, कोर्ट कचहरी के मामलो में, सम्मोहन में, आकर्षण में, उच्चाटन के लिए, गुप्त शत्रु बाधा, राजनीती में स्थायित्व हेतु, सर्वत्र विजय प्राप्ति हेतु, न्यायालय बिध्न बाधा, कर्ज से मुक्ति के लिए, मोहन आदि बड़ी से बड़ी और छोटी से छोटी समस्याओ के समाधान के लिए बगलामुखी अनुष्ठान किया जाता है।


विद्वेषण पूजा

विद्वेषण का महत्त्व है द्वेष पैदा करना विद्वेषीशित करना विद्वेषण एक क्रिया है जो तंत्र के अंतिम में षठ कर्मो में अंतिम क्रिया है द्वेष पैदा करना मतलब दो लोगो के बीच झगड़ा करना इस क्रिया में पार्टनरशिप टूट जाया करती है या डाइवोर्स जाते हैं


उच्चाटन पूजा

किसी भी कार्य की संपन्ता उसमें लगे मन की एकाग्रता और कार्य के प्रति समर्पण पर निर्भर है यह कहे की दिल लगाकर किया गया कार्य ही फलदाई साबित होता है अन्यथा इसमें आने वाली हर्ष ने सफलता में बाधक बनी रहती है कहीं बाहर कार्य के प्रति मन में भटकाव अर्थात उच्च चार्ट जैसी स्थिति बन जाती है इसकी कहीं वजहें हो सकती है कुछ अपने आचरण विवाद मनमुटाव किसी की नापसंदगी तो कुछ दुश्मनों के विरा दी तेवर से हो सकते हैं इन्हें उच्चाटन के तांत्रिक उपायों से दूर किया जा सकता है


वशीकरण पूजा

जीवन मे सबसे बड़ी शक्ति होती है, आकर्षण शक्ति, जिससे व्यक्ति हर किसी को अपनी और आकर्षित करके अपना मनच्छित कार्य सम्भव करवा सकता है।


माँ बगलामुखी की कृपा से यह शक्ति आप तंत्र के प्रथम प्रयोग आकर्षण प्रयोग से पा सकते है।


तंत्र पूजा

तंत्र से वशीकरण, मोहन, विदेश्वण, उच्चाटन, मारण और स्तम्भन मुख्यरूप से ये 6 क्रियाएं की जाती हैं जिनका अर्थ वश में करना, सम्मोहित करना।

दो अति प्रेम करने वालों के बीच गलतफहमी पैदा करना, किसी के मन को चंचल करना। किसी को मारना, मन्त्रों के द्वारा कई घातक वस्तुओं से बचाव करना।


शत्रु नाशक पूजा

अगर शत्रुओं नें जीना दूभर कर रखा हो, कोर्ट कचहरी पुलिस के चक्करों से तंग हो गए हों, शत्रु चैन से जीने नहीं दे रहे, प्रतिस्पर्धी आपको परेशान कर रही हैं शत्रु का भय सता रहा हो जब शत्रु के कारण जीवन मुश्किल हो गया हो इस पूजन द्वारा उस शत्रु को स्वयं से दूर किया जा सकता है


लक्ष्मी पूजा

मनुष्य जीवन में हर सुख भोगने के लिये सबसे जरूरी होता है पैसा। जीवन मे पैसा नही है तो आपका मनुष्य जीवन नरक के समान होता है।

इसलिए माता लक्ष्मी की विशेष कृपा हेतु। माँ बगलामुखी की अधिष्ठात्री लक्ष्मी को हमेशा पशन्न रखे व लक्ष्मी प्राप्ति तंत्र साबर पूजा प्रयोग को अपनाएं। जिसे माँ लक्ष्मी की विशेष कृपा बनी रहे।


सम्मोहन तंत्र पूजा

समोहन किसी भी व्यक्ति व वस्तु को अपने हिसाब से चलाने की कला है। जिसके द्वारा मनुष्य उस अर्धचेतनाव्सथा में लाया जा सकता है जो कि समाधि व स्वप्नावस्था से मिली जुली होती है इस प्रयोग द्वरा मनुष्य अपनी प्रत्येक इत्छा अथवा मनोकामना पूरी कर सकता है।


आकर्षण पूजा

जीवन मे सबसे बड़ी शक्ति होती है, आकर्षण शक्ति, जिससे व्यक्ति हर किसी को अपनी और आकर्षित करके अपना मनच्छित कार्य सम्भव करवा सकता है।
माँ बगलामुखी की कृपा से यह शक्ति आप तंत्र के प्रथम प्रयोग आकर्षण प्रयोग से पा सकते है।

दो अति प्रेम करने वालों के बीच गलतफहमी पैदा करना, किसी के मन को चंचल करना। किसी को मारना, मन्त्रों के द्वारा कई घातक वस्तुओं से बचाव करना।


कोर्ट केस विजय पूजा

मां बगलामुखी माता का एक सच्चे उपासक के सारे शत्रु स्वयं नष्ट हो जाते हैं, और वह सभी प्रकार के कानूनी मुकदमा और यहां तक कि जेल से भी मुक्त हो जाते हैं, जब अदालत या कानूनी कार्रवाई प्रभावित व्यक्ति के खिलाफ जाने लगती है तो ऐसी स्थिति में शत्रु पर विजय पाने के लिए, मां बगलामुखी अनुष्ठान अत्यंत सहायक माना जाता है मां बगलामुखी की पूजा एवं अनुष्ठान करने से व्यक्ति के पक्ष में कोर्ट केस जीतने की संभावना बढ़ जाती है, देवी के अनुष्ठान से आपको सालों से लंबित पारिवारिक, व्यापारी, फौजदारी, ऋण संबंधी एवं अन्य सभी मुकदमों पर जीत का आशीर्वाद मिलता है,


वैवाहिक बाधा निवारण​

मां बगलामुखी माता पूजन एवं अनुष्ठान से कुंडली दोष के कारण विवाह में देरी होने वाली समस्या का समाधान होता है, विवाह रोकने के लिए कोई जादू टोना किए कराए, बंधन एवं तंत्र प्रयोग को काटने के लिए विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं, विवाह प्रस्ताव लगातार अस्वीकार हो रहे हो, प्रस्ताव स्वीकार करने के लिए अनुष्ठान मनचाहा प्रेम विवाह योग के लिए विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं, विवाह के बाद तलाक ना होने के लिए एवं पति और पत्नी के बीच में मधुर संबंध स्थापित करने के लिए पंडित जी द्वारा विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं। 


संतान प्राप्ति पूजा

मां बगलामुखी धाम मंदिर से कोई भी व्यक्ति खाली हाथ नहीं जाता है, ऐसी मान्यता है कि माता सच्चे भक्तों की झोली संतान से भर ही देती है, पंडित जी द्वारा श्रेष्ठ संतान प्राप्ति के लिए विशेष अनुष्ठान करवाए जाते हैं, गर्भधारण पर दुश्मनों द्वारा रोक लगवाना बार बार गर्भपात होना, इसके निवारण के लिए पंडित जी द्वारा विशेष अनुष्ठान करवाया जाता है| श्रेष्ठ उचित संस्कार वाली संतान प्राप्ति के लिए एवं गर्भधारण के बाद सारे कष्टों के निवारण के लिए विशेष अनुष्ठान करवाए जाते हैं| पंडित जी द्वारा रोगमुक्त संतान की प्राप्ति हेतु विशेष अनुष्ठान जाप एवं हवन किए जाते हैं।

पूजा - हवन का महत्त्व -

माँ बगलामुखी हवन का महत्व माता अपने भक्तों के जीवन की आवश्यकताओं का सदा ख्याल रखती है। उसके सुख-दुख में हर कदम पर साथ देती है। ताकि उसके भक्त किसी परेशानी में न पड़ें।

उसके ध्यान या पार्थना में आस्था और विस्वाश अंनत है, तभी उसकी शुभ दृष्टि आप पर होगी। इनकी पूजा हवन करके आप जीवन में जो चाहें कर सकते हैं। इनकी पूजा करने से कभी भी शत्रु को परास्त किया जा सकता है।

स्वर्ण ओर रजत श्रृंगार-

माँ बगलामुखी के कई स्वरूप हैं। कहते हैं कि देवी माँ बगलामुखी, समुद्र के मध्य में स्थित मणिमय द्वीप में अमूल्य रत्नों से सुसज्जित सिंहासन पर विराजमान हैं। देवी त्रिनेत्रा हैं, मस्तक पर अर्ध चन्द्र धारण करती है, पीले शारीरिक वर्ण युक्त है, देवी ने पीला वस्त्र तथा पीले फूलों की माला धारण की हुई है। देवी के अन्य आभूषण भी पीले रंग के ही हैं तथा अमूल्य रत्नों से जड़ित हैं। देवी, विशेषकर चंपा फूल, हल्दी की गांठ इत्यादि पीले रंग से सम्बंधित तत्वों की माला धारण करती हैं। यह रत्नमय रथ पर आरूढ़ हो शत्रुओं का नाश करती हैं। एवं माँ को पीली वस्तु बहुत प्रिय है इसलिये माँ भगवती बगलामुखी माता का स्वर्ण शिंगार किया जाता है एवं रजत शिंगार किया जाता विषेस महत्व पर विषेस त्योहार पर नवरात्रि पर्व पर माँ बगलामुखी जयंती पर्व पर एवं राष्टिय दिवसःपर्व पर भी माँ को 3 रंगों की चुनरी ओढ़ाकर माता का शिंगार किया जाता है एवं विषेस दिनों पर भी माँ भगवती बगलामुखी का शिंगार किया जाता है

माँ बगलामुखी मंदिर नलखेड़ा का इतिहास

माँ बगलामुखी मंदिर मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले के नलखेड़ा नगर में लखुन्दर नदी के के पूर्वी तट पर स्थित है। यह मंदिर पांडव कालीन अति प्राचीन है मंदिर के गर्भ गृह में माता बगलामुखी की स्वयंभू प्रतिमाह के रूप में विराज मान है तथा माता के साथ दाये बाये महालक्ष्मी महा सरस्वती विराज मान है।

यह मंदिर देश विदेश में अति प्रचलित है एवं चमत्कारिक भी है। मंदिर परिसर में भैरव ,हनुमान व पारदेश्वर राधे कृष्ण मंदिर के साथ ऋषि मुनियों की अति प्राचीन जाग्रित समाधिया स्तिथ है जो की मंदिर को अति प्राचीन होने का प्रमाण देती है मंदिर की मान्यता अनुसार माता त्वरित फल दाई है इसीलिये मंदिर में विभिन्न राज्यों से तथा देश विदेशो से भी लोग माता के दर्शन के लिये आते है एवं विशेष कार्य के लिये माता मंदिर में अनुष्ठान एवं हवन पूजन कर माता का आशिर्वाद प्राप्त करते है।

मंदिर के चारो तरफ शमशान है मंदिर श्मशान के मद्य्य में स्तिथ है मान्यता के अनुसार माता तंत्र की अदिशधात्री एवं श्मशान वासनी है इसी लिये माता के दरबार मे अनेकों साधु संत विशेष तंत्र प्रियोग के लिये आते है।

प्राचीन तंत्र ग्रंथों में दस महाविद्याओं का उल्लेख है जिनमें से एक है बगलामुखी । माँ भगवती बगलामुखी है इनका महत्व समस्त देवियों में सबसे विशिष्ट है। विश्व में इनके सिर्फ तीन ही महत्वपूर्ण प्राचीन मंदिर हैं, जिन्हें सिद्धपीठ कहा जाता है। यह मन्दिर उन्हीं में से एक बताया गया है।

मंदिर के बाहर सोलह स्त्म्भों वाला एक सभामंडप है जो आज से लगभग २५२ वर्षों से संवत १८१६ में पंडित ईबुजी दक्षिणी कारीगर श्रीतुलाराम ने बनवाया था। इसी सभामंड़प में एक कछुआ भी स्थित है जो देवी की मूर्ति की ओर मुख करता हुआ है। यहा पुरातन काल से देवी को बलि चढ़ाई जाती थी। मंदिर के सामने लगभग ८० फीट ऊँची एक दीप मालिका बनी हुई है, जिसका निर्माण राजा विक्रमादित्य द्वारा ही करवाया गया था।

मंदिर में लोग अपनी मनोकामना पूर्ति हेतु एवं विभिन्न क्षेत्रों में विजय प्राप्त करने के लिए यज्ञ, हवन या पूजन-पाठ कराते हैं। मुख्य पुजारी गोपाल दास जी पंडा, मनोहरलाल जी पंडा ने बताया कि बगलामुखी माता तंत्र की देवी हैं, अतः यहाँ पर तांत्रिक अनुष्ठानों का महत्व अधिक है। इस मंदिर की मान्यता इसलिए भी अधिक है, क्योंकि यहाँ की मूर्ति स्वयंभू और जागृत है।

मंदिर में बहुत से वृक्ष हैं, जिनमें बिल्वपत्र, चंपा, सफेद आँकड़ा, आँवला, नीम एवं पीपल के वृक्ष स्थित हैं। इसके नवरात्रि के अवसर पर यहाँ भक्तों का ताँता लगा रहता है। मुख्यपूजारी ने बताया है कि उनका परिवार कई पीढ़ियों से माता की सेवा करते आ रहा है और उन्हें कई बार माता के साक्षात् होने का अनुभव हुआ है मंदिर के पीछे लखुन्दर नदी (जिसका पुराना नाम लक्ष्मणा है) के तट पर संत व मुनियो की कई समाधियाँ जीर्ण अवस्था में स्थित है, जो आज भी इस मंदिर में संत मुनियों का रहने का प्रमाण है।

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